मां नैना देवी मंदिर नैनीताल: एक पौराणिक गाथा

मां नैना देवी मंदिर नैनीताल Naina Devi Temple, Nainital
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नैनीताल, देवभूमि उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल, प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का एक अद्भुत संगम है। यहाँ आने वाले हर पर्यटक के लिए नैनीताल की यात्रा अधूरी मानी जाती है, यदि उन्होंने नयना देवी मंदिर में मां के दर्शन नहीं किए। इस मंदिर की महिमा, पौराणिकता और ऐतिहासिक महत्व इसे खास बनाते हैं। आइए जानते हैं नैनीताल के नयना देवी मंदिर की कहानी।

क्या नैनीताल के नैना देवी की कहानी…
मां नैना देवी मंदिर नैनी झील के उत्तरी किनारे पर है. ये भारत का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से आंखों से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये मंदिर उस जगह पर बना है, जहां मां सती के नैन गिरे थे। इसलिए इसे शक्तिपीठ कहा जाता है।
सभी जानते हैं कि जब मां सती भस्म हुई थी तो शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर तांडव किया था और उनके शरीर के अंग जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई। नैना देवी मंदिर भी 64 शक्तिपीठ में शामिल है। स्थानीय लोग मां नैना देवी को नंदामाता भी कहते हैं। मां के नाम पर ही नैनीताल का नाम पड़ा है।

मंदिर की संरचना और विशेषताएँ:
मंदिर के प्रवेशद्वार पर एक घना पीपल का वृक्ष है, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में तीन देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। केंद्र में दो आंखें हैं, जो मां नयना देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं। मंदिर में दर्शन करने से माना जाता है कि आंखों से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह मंदिर 64 शक्तिपीठों में शामिल है।

मंदिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का वृक्ष
दो आंखें हैं, जो मां नयना देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं

इतिहास और पुनर्निर्माण:
1880 के विनाशकारी भूकंप के बाद, मई 1884 में वर्तमान स्थल पर मां नयना देवी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया। तब से लगातार ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

1980 भूस्खलन

मान्यता है कि मां सती के आंसुओं से ही यहां ताल बना। तभी से नैनीताल में शिवपत्नी नंदा यानी पार्वती की पूजा नैना देवी के रूप में की जाती है।

मां नयना देवी का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नैनीताल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता श्रद्धालुओं के मन को शांति और संतोष प्रदान करती है। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है।

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