उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी है। इस याचिका में जिलाधिकारी द्वारा दैवीय आपदा से बचाव में लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं।
याचिकाकर्ता भुवन चंद पोखरिया ने अपनी पैरवी में बताया कि जिलाधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान दूसरे रिहायशी और ग्रामीण क्षेत्रों में एन.जी.टी.व उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ खनन भंडारण की अनुमति दी। उनके अनुसार, जिलाधिकारी ने दैवीय आपदा से बचाव की दशा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की बजाय अन्य क्षेत्रों को प्राथमिकता दी।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार, कमिश्नर कुमायूं, सचिव कार्मिक और पूर्व जिलाधिकारी सविन बंसल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होने के लिए तय की गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि जिलाधिकारी द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की बजाय अन्य क्षेत्रों को रिहायशी और ग्रामीण क्षेत्रों में खनन भंडारण की अनुमति देना एक गंभीर अनियमिति थी। उन्होंने भी उच्च न्यायालय से शिकायत की है कि जांच रिपोर्ट के लिए अभी तक कोई पूर्णत: कार्रवाई नहीं की गई है।
यह मामला समाज में गंभीर चिंता का विषय बन चुका है और इसे तेजी से निपटाने की मांग की जा रही है।