हिंदू धर्म में पितृपक्ष या महालय पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय है जब हम अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं। आइए जानें इस पवित्र अवधि के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और 2024 में होने वाले श्राद्धों की तिथियाँ।
महालय पक्ष क्या है?
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को महालय पक्ष कहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितृगण स्वर्ग लोक से भूलोक में भ्रमण करने आते हैं। इस अवधि में कुल 16 श्राद्ध होते हैं, जो भाद्र मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलते हैं।
श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध और तर्पण करने से:
- पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं
- जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है
- कुंडली में पितृ दोष दूर हो सकता है
श्राद्ध की उत्पत्ति
महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार:
- महर्षि निमि ने सर्वप्रथम श्राद्ध का प्रारंभ किया
- अत्रि मुनि ने श्राद्ध का उपदेश दिया
- ब्रह्मा जी और अग्निदेव ने श्राद्ध प्रथा को सुधारा
2024 में श्राद्ध की तिथियाँ
- 18 सितंबर: पूर्णिमा एवं प्रतिपदा श्राद्ध
- 19 सितंबर: द्वितीय श्राद्ध
- 20 सितंबर: तृतीय श्राद्ध
- 21 सितंबर: चतुर्थी श्राद्ध
- 22 सितंबर: पंचमी श्राद्ध
- 23 सितंबर: षष्ठी एवं सप्तमी श्राद्ध
- 24 सितंबर: अष्टमी श्राद्ध
- 25 सितंबर: नवमी श्राद्ध
- 26 सितंबर: दशमी श्राद्ध
- 27 सितंबर: एकादशी श्राद्ध
- 28 सितंबर: इंदिरा एकादशी व्रत
- 29 सितंबर: द्वादशी श्राद्ध
- 30 सितंबर: त्रयोदशी श्राद्ध
- 1 अक्टूबर: चतुर्दशी श्राद्ध
- 2 अक्टूबर: पितृ विसर्जन अमावस्या
श्राद्ध विधि
- जौ, तिल, कुशा और जल लेकर संकल्प करें
- पितरों का आवाहन करें
- तर्पण करें
- भगवान सूर्य देव को अर्ध्य दें
- पत्तल में विभिन्न प्रकार के पकवान और फल परोसें
याद रखें, श्राद्ध करना न केवल हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाने का भी माध्यम है।
लेख: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया, नैनीताल