उत्तराखंड के प्रमुख लोक गायक प्रहलाद मेहरा का आज हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। उनकी अंतिम सांस ली गई। प्रहलाद मेहरा उत्तराखंड के कुमाऊं के प्रसिद्ध लोक गायक थे जिन्होंने लोक संस्कृति को बढ़ावा देने में अपना योगदान दिया। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है।
प्रहलाद मेहरा का जन्म सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में 4 जनवरी 1971 मे हुआ था। उन्होंने बचपन से ही गायन और वाद्य यंत्र बजाने में रुचि रखी थी और इसे अपना कैरियर बनाया। उन्हें आकाशवाणी ने 1989 में ए ग्रेड कलाकार का दर्जा दिया था। प्रहलाद मेहरा ने अपनी शानदार आवाज से अधिकतर प्रसिद्ध कुमाऊं गीतों को नया जीवन दिया था। उनके गाए गीत जनमानस में अभिनवता और सराहनीयता प्राप्त कर चुके थे।
प्रहलाद मेहरा के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी समेत कई लोगों ने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। प्रहलाद मेहरा के निधन से उत्तराखंड के सांस्कृतिक क्षेत्र में एक बड़ी क्षति हुई है और लोगों के बीच गहरा शोक है।
प्रहलाद मेहरा की कुछ प्रमुख गायन योग्य गीतें शामिल हैं:
- “हाड़क चेली ले – कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले”
- “चांदी बटना दाज्यू”
- “मेरी मधुली”
- “का छ तेरो जलेबी को डाब”
- “ओ हिमा जाग”
- “कुर्ती कॉलर मा”
- “एजा मेरा दानपुरा”
प्रहलाद मेहरा के निधन पर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहने वाले कई लोगों ने उनकी यादों को सलाम अर्पित किया है और उनकी गायन कला को याद करते हुए उनकी महानता की सराहना की है।