उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों के विलंब पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हुई। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त की तिथि निर्धारित की है।
याचिका में निम्नलिखित मुख्य बिंदु उठाए गए:
- जनवरी में एक पूर्व सुनवाई के दौरान, शहरी विकास सचिव ने 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराने का आश्वासन दिया था।
- अप्रैल में भी इसी तरह का आश्वासन दिया गया था, जिसे न्यायालय ने रिकॉर्ड में लिया था।
- निकायों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो गया था, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बावजूद चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया।
- सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है।
- प्रशासकों की नियुक्ति से आम जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- नियमानुसार, निकाय भंग होने की स्थिति में भी 6 महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद अनवर ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि सरकार को शीघ्र चुनाव कराने के निर्देश दिए जाएं। यह मामला स्थानीय लोकतंत्र और शासन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि निर्वाचित प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में नागरिकों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
न्यायालय की अगली सुनवाई में इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। स्थानीय निवासी और राजनीतिक विश्लेषक इस मामले पर करीब से नज़र रखे हुए हैं।