रेशम विभाग की नई पहल: नवरात्रि पर हस्तनिर्मित उत्पादों का विमोचन

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उत्तराखंड, हल्द्वानी | उत्तराखंड रेशम विभाग ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत नवरात्रि के अवसर पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित हस्तकला उत्पादों को बाजार में उतारा है। रेशम विभाग के इतिहास में यह पहली बार है जब रेशम के कोये से हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर बाजार में लॉन्च किए गए हैं। उत्तराखंड के रेशम से बने इन उत्पादों की बाजार में काफी मांग देखी जा रही है।

रेशम विभाग कुमाऊं के उपनिदेशक हेमचंद्र ने बताया कि अब तक विभाग केवल किसानों को रेशम कीट पालन के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का कार्य कर रहा था। लेकिन अब पहली बार, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक नया प्रयास किया गया है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने रेशम के कोये से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए हैं, जिनमें देवी-देवताओं की आकृतियां, सजावटी सामान, और शुद्ध रेशम से बने महिलाओं के आभूषण शामिल हैं। इन उत्पादों में पहाड़ की कला, संस्कृति और यहां की धरोहर की झलक दिखाई देती है।

उपनिदेशक हेमचंद्र ने आगे बताया कि आने वाले समय में इन उत्पादों के लिए एक विशेष लोगो और ब्रांड नाम को ट्रेडमार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि इन महिला समूहों को एक बड़े उद्यम के रूप में स्थापित किया जाए। उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य में रेशम से केवल धागाकरण कर वस्त्र उत्पादन का कार्य किया जा रहा था। लेकिन अब पहली बार रेशम कोये से हस्तशिल्प के माध्यम से मनमोहक, सजावटी और उपयोगी सामान तैयार किए गए हैं।

इन उत्पादों को बेचकर महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध कला और शिल्प परंपरा को भी नई पहचान मिल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये अनूठे उत्पाद निश्चित रूप से भविष्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाएंगे।

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