उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव से संबंधित एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मौजूदा शासनादेश के आधार पर यह निर्णय लिया।
देहरादून के समाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में छात्रसंघ चुनावों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। याचिकाकर्ता ने 25 अक्टूबर को समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए यह याचिका दायर की थी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल को एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि सभी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ से पूर्व, 30 सितंबर तक छात्रसंघ चुनाव संपन्न करा लिए जाएं।
मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता एम.सी. पंत ने न्यायालय के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश विवादास्पद प्रकृति के हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लागू किया जाना आवश्यक है और सरकार को अपने आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए।
न्यायालय के इस निर्णय के बाद छात्रसंघ चुनावों के भविष्य पर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला छात्र राजनीति और शैक्षणिक प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह मामला राज्य में छात्र लोकतंत्र के भविष्य और शैक्षणिक संस्थानों में छात्र प्रतिनिधित्व के महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर आगे की कार्यवाही पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।